श्रीमद्भागवतकथा ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र चतुर्वर्णों के व्यक्तियों द्वारा समान रूप से कराया जाता है श्रीमद भागवत पुराण आयु, विद्या, बल, धन, यश तथा प्रतिष्ठा देने वाला अनुपम ग्रंथ है। भागवत की कथा-श्रवण से भक्तों और श्रद्धालु श्रोताओं को ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। कथा के श्रवण मात्र से ही जातक के सभी कष्टों का निवारण हो जाता है उसके इस जन्म और पिछले जन्म के सारे पापो से मुक्ति मिल जाती है और वह भव बाधा से मुक्त हो जाता है।

सात दिवसीय श्रीमद्भागवतकथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ कलशयात्रा एवं विशाल शोभायात्रा के साथ किया जाता है। इस कलश यात्रा में सौभाग्यवती महिलाएं पीले वस्त्र धारण किये सिर पर कलश उठाये कतारबद्ध और अनुसाशित होकर नगर भ्रमण करती है और मन में समस्त जीव-प्राणियों के मंगल कामना करते हुए आगे बढ़ती है । इस कलशयात्रा के साथ साथ विशाल शोभायात्रा का भी आयोजन किया जाता है, शोभायात्रा में चार सुसज्जित चार पहिया वाहन, बैण्ड एवं धर्मध्वजा युक्त मोटरसाइकिलों पर युवा एवं यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं के उत्साहपूर्ण जयकारों एवं सुमधुर व कर्णप्रिय भजनों से पूरा शहर गुंजायमान हो जाता है।

ज्योतिषाचार्य कृष्णा त्रिपाठी जी द्वारा सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन करवाया जाता है जिसको वह बड़ी ही विधि विधान से संपन्न करवाते है अगर आप भी श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से अपना जीवन सफल बनाना चाहते है तो आज ही हमसे संपर्क करे –

धार्मिक अनुष्ठान

धार्मिक अनुष्ठान से तात्पर्य ऐसे क्रमबद्ध धार्मिक कार्यों से है जो विशेष स्थान पर,विशेष विधि से, विशेष शब्दों द्वारा और विशेष मंत्रो द्वारा किए जाते हैं। धार्मिक अनुष्ठान ऐसे मांगलिक कार्य होते है जिसमे किसी विशेष देवी देवताओ का आवाहन विशेष पूजा द्वारा या यज्ञ के माध्यम से किया जाता है और सभी शुभ कार्यों में हाथ की कलाई पर लाल धागा यानि मौली बांधने की परंपरा का पालन भी किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य कृष्णा त्रिपाठी जी एवं वाराणसी (काशी) के वैदिक ब्राह्मणों के द्वारा रुद्राभिषेक, अतिरूद्र, लघुरुद्र, महारुद्र ,शतचंडी ,नौचंडी , सहस्त्र चंडी ,देव प्राण प्रतिष्ठा , यज्ञ एवं सभी प्रकार के धार्मिक यज्ञ अनुष्ठान आदि करवाए जाते हैं।